गीतार्थ संग्रह – 2

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद त्रय षट्खण्डों (छः अध्यायों) का सारांश श्लोक 2 ज्ञानकर्मात्मिके निष्ठे योगलक्ष्ये सुसंस्कृते | आत्मानुभूति सिध्यर्थे पूर्व शठकेन चोदिते || Listen शब्दार्थ (पुत्तूर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) सुसंस्कृते – शेषत्वज्ञान से सुसज्जित (अपने दासत्व का बोध, सांसारिक तत्वों से वैराग्य … Read more