गीतार्थ संग्रह – 3

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद प्रथम षट्खंड के प्रत्येक अध्याय का सारांश श्लोक 5 अस्थान स्नेह कारुण्य धर्माधर्मधियाकुलं | पार्थं प्रपन्नमुद्धिस्य शास्त्रावतरणम् कृतं || Listen शब्दार्थ (पुत्तुर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) अस्थान स्नेह कारुण्य धर्माधर्मधियाकुलं – प्राकृतिक अयोग्य संबंधियों के प्रति (जो आत्मा … Read more