गीतार्थ संग्रह – 4

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद द्वितीय षट्खंड के प्रत्येक अध्याय का सारांश श्लोक 11 स्वयाथात्म्यम् प्रकृत्यास्य तिरोधी: शरणागति: | भक्त भेदा: प्रबुद्धस्य श्रेष्ठयम् सप्तम् उच्यते || श्रीशठकोप स्वामीजी – ज्ञानियों में श्रेष्ठ Listen शब्दार्थ (पुत्तुर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) सप्तमे – सप्तम् अध्याय में स्वयाथात्म्यम् … Read more