१.२८ – कृपया परयाविष्टो
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १ << अध्याय १ श्लोक २७ श्लोक कृपया परयाविष्टो विषीदत्रिदमब्रवीत् ।अर्जुन उवाचदृष्टेवमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम् ৷৷ पद पदार्थ परया कृपया आविष्ट: – दया से अभिभूत होकरविषिदन – दुःखित होकरइदं – इस प्रकार सेअब्रवीत् – कहाकृष्ण – हे कृष्ण !युयुत्सुं – युद्ध करने की इच्छा … Read more