२.४५ – त्रैगुण्य विषया वेदा
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ४४ श्लोकत्रैगुण्य विषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन ।निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् || पदपदार्थ वेद: – वेदत्रैगुण्य विषया – तीन गुणों (सत्व, रजस, तमस ) वाले लोगों की भलाई के लिए कहता है अर्जुन – हे अर्जुन!(त्वम तु – लेकिन तुम )निस्त्रैगुण्य … Read more