श्री भगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय ५ (कर्म सन्यास योग)
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता – प्रस्तावना <<अध्याय ४ गीतार्थ संग्रह के नौवे श्लोक में स्वामी आळवन्दार् , भगवद्गीता के पांचवे अध्याय की सार को दयापूर्वक समझाते हैं , ” पांचवे अध्याय में कर्म योग के उपयोगिता , लक्ष्य को शीघ्रता से प्राप्त करने का इसका पहलू , उसके … Read more