२.६३ – क्रोधाद्भवति सम्मोहः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६२ श्लोक क्रोधाद्भवति सम्मोहः  सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः ।स्मृतिभ्रंशाद्  बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात् प्रणश्यति ॥ पद पदार्थ क्रोधात् – उस क्रोध के कारणसम्मोहः-  मन का भ्रम भवति– होती हैसम्मोहात् – उस भ्रम के कारणस्मृतिविभ्रम: (भवति) – स्मृति की नाश होती हैस्मृतिभ्रंशाद् – स्मृतिनाश सेबुद्धिनाशा : (भवति) … Read more

२.६२ – ध्यायतो विषयान्पुम्सः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६१ श्लोक ध्यायतो विषयान्पुम्स: सङ्गस्तेषूपजायते ।सङ्गात् संजायते कामः कामात् क्रोधोSभिजायते ॥ पद पदार्थ विषयान् – इन्द्रिय वस्तुओं पर जो ध्वनि, स्पर्श,  रूप , रस , गंध  हैंध्यायता :- ध्यान करता है (इनके प्रति अनादिकाल से रुचि के कारण)पुम्स:- व्यक्ति के लिए … Read more