२.६४ – रागद्वेश वियुक्तैस् तु

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६३ श्लोक रागद्वेश वियुक्तैस्तु विषयानिन्द्रियैश्चरन् ।आत्मवश्यैर्विधेयात्मा प्रसादमधिगच्छति ॥ पद पदार्थ रागद्वेश विमुक्तै: (वियुक्तै:) – इच्छा और द्वेष से मुक्त होकर  (मेरी (कृष्ण की) कृपा से)आत्मवश्यै: – स्वयं के वश में होनाइन्द्रियैः- इन्द्रियाँविषयान् – विषय वस्तु जैसे ध्वनि आदिचरन् – लाँघनाविधेयात्मा … Read more