श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला ।
समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि ॥
पद पदार्थ
श्रुति विप्रतिपन्ना – मुझसे सुनने से विशेष रूप से जानना
अचला – स्थिर
ते – तुम्हारा
बुद्धिः- बुद्धि
समाधौ – मन में
यदा – जब
निश्चला स्थास्यति – बहुत दृढ़ हो जाता है
तदा – उस समय
योगम् – आत्म साक्षात्कार
अवाप्स्यसि – प्राप्त करोगे
सरल अनुवाद
मुझसे सुनने से प्राप्त विशेष ज्ञान से तुम्हारी स्थिर बुद्धि, जब दृढ़ हो जाएगी, तब तुम आत्म साक्षात्कार प्राप्त करोगे ।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी
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