१७.१६ – मनःप्रसादः सौम्यत्वं
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १७ << अध्याय १७ श्लोक १५ श्लोक मनःप्रसादः सौम्यत्वं मौनमात्मविनिग्रहः।भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते।। पद पदार्थ मनः प्रसादः – मन को साफ और क्रोध आदि से रहित रखनासौम्यत्वं – दूसरों के हित के बारे में सोचनामौनं – मन के माध्यम से वाणी पर नियंत्रण रखनाआत्म विनिग्रहः – मन … Read more