४.१४ – इति मां योऽभिजानाति
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक १३.५ श्लोक इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते || पद पदार्थ इति – इस प्रकारमाम् – मुझेय: – जो भीअभिजानाति – अच्छी तरह जानता हैस: – वोकर्मभि: – पाप ( जो कर्म योग करने मे बाधा हो )न बध्यते – … Read more