श्री भगवद्गीता का सारतत्त्व – अध्याय २ (सांख्य योग)
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता का सारतत्त्व << अध्याय १ गीतार्थ संग्रह के छठे श्लोक में, आळवन्दार दूसरे अध्याय का सारांश समझाते हुए कहते हैं, “ “शाश्वत आत्मा, वैराग्य के साथ धार्मिक कर्तव्य, स्थितप्रज्ञ का अवस्था (निर्णय और ज्ञान में दृढ़) की लक्ष्य , स्वयं और कर्म योग के … Read more