४.५ – बहूनि मे व्यतीतानि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ४

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श्लोक

श्री भगवानुवाच
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ।।

पद पदार्थ

श्री भगवानुवाच – श्री कृष्ण ने जवाब दिया
हे अर्जुन – हे अर्जुन !
तव च – तुम्हारी तरह
मे – मेरे लिए भी
बहूनि – अनगणित
जन्मानि – जन्मों
व्यतीतानि – बीत चुके हैं
हे परन्तप – हे शत्रुओं का उत्पीड़क !
तानि सर्वाणि – उन सभी जन्मों ( तेरे और मेरे ) को
अहं – मैं
वेद – जानता हूँ
त्वं – तुम
न वेत्थ – नहीं जानते ( उनको )

सरल अनुवाद

श्री कृष्ण ने जवाब दिया, हे अर्जुन ! तुम्हारी तरह मेरे लिए भी अनगणित जन्मों बीत चुके हैं। हे शत्रुओं का उत्पीड़क ! मैं उन सभी जन्मों ( तुम्हारे और मेरे ) को जानता हूँ और तुम उनको नहीं जानते।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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