७.१० – भीजं मां सर्वभूतानाम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ७

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श्लोक

भीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् |
बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् ||

पद पदार्थ

पार्थ – हे कुन्तीपुत्र!
सर्व भूतानाम् – उन सभी सत्ताओं में जो परिवर्तन से गुजरती हैं
सनातनं बीजं माम् विद्धि – मुझे उस शाश्वत क्षमता के रूप में जानो जो परिवर्तन का कारण है
अहम् – मैं
बुद्धिमतां – बुद्धिमानों का
बुद्धि: अस्मि – बुद्धि हूँ
तेजस्विनां – प्रतिष्ठित का
तेज: (अस्मि) – मैं कान्ति हूँ

सरल अनुवाद

हे पार्थ ! मुझे उस शाश्वत क्षमता के रूप में जानो जो परिवर्तन से गुजरने वाली सभी सत्ताओं में परिवर्तन का कारण है ; मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और प्रतिष्ठित लोगों का कान्ति हूँ।

अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी

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