१०.३६ – द्यूतं छलयतामस्मि
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १० << अध्याय १० श्लोक ३५ श्लोक द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्।जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्।। पद पदार्थ छलयताम् – धोखा देने वालों की कपटपूर्ण मनोवृत्ति के निवासस्थानों मेंद्यूतं अस्मि – मैं जुआ हूँतेजस्विनां – तेजस्वी लोगों कातेज: अहम् – मैं तेज हूँजय: अस्मि – मैं विजेता का … Read more