गीतार्थ संग्रह – 3

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद प्रथम षट्खंड के प्रत्येक अध्याय का सारांश श्लोक 5 अस्थान स्नेह कारुण्य धर्माधर्मधियाकुलं | पार्थं प्रपन्नमुद्धिस्य शास्त्रावतरणम् कृतं || Listen शब्दार्थ (पुत्तुर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) अस्थान स्नेह कारुण्य धर्माधर्मधियाकुलं – प्राकृतिक अयोग्य संबंधियों के प्रति (जो आत्मा … Read more

गीतार्थ संग्रह – 2

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद त्रय षट्खण्डों (छः अध्यायों) का सारांश श्लोक 2 ज्ञानकर्मात्मिके निष्ठे योगलक्ष्ये सुसंस्कृते | आत्मानुभूति सिध्यर्थे पूर्व शठकेन चोदिते || Listen शब्दार्थ (पुत्तूर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) सुसंस्कृते – शेषत्वज्ञान से सुसज्जित (अपने दासत्व का बोध, सांसारिक तत्वों से वैराग्य … Read more

गीतार्थ संग्रह – 1

श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला श्लोक 1 (गीता शास्त्र का उद्देश्य) स्वधर्म ज्ञान वैराग्य साध्य भक्तयेका गोचर:| नारायण परब्रह्म् गीता शास्त्रे समीरित: || Listen शब्दार्थ (पुत्तूर कृष्णमाचार्य स्वामी द्वारा प्रदत्त तमिल अनुवाद पर आधारित) स्वधर्म ज्ञान वैराग्य साध्य भक्तयेका गोचर: – वह जिन्हें भक्ति, जो सांसारिक तत्वों के प्रति वैराग्य से प्राप्त होती है, ज्ञान योग (ज्ञान का मार्ग) और … Read more