श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत |
तत्प्रसादात्परां शान्तिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम् ||
पद पदार्थ
भारत – हे भरत कुल के वंशज!
तम् एव – परमेश्वर का (मेरा)
सर्वभावेन – सभी प्रकार से
शरणं गच्छ – अनुसरण करो;
तत् प्रसादात् – उनकी कृपा से
परां शान्तिं – सभी बंधनों से मुक्ति पाकर
शाश्वतम् स्थानं च – परमपद जो मोक्ष का शाश्वत धाम है
प्राप्स्यसि – प्राप्त करोगे
सरल अनुवाद
हे भरत कुल के वंशज! सभी प्रकार से परमेश्वर का (मेरा) अनुसरण करो; उनकी कृपा से तुम सभी बंधनों से मुक्ति पाओगे और परमपद को प्राप्त करोगे जो मोक्ष का शाश्वत धाम है |
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
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