श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयाऽनघ |
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत ||
पद पदार्थ
अनघ – हे निष्पाप!
भारत – हे भरतवंशी!
इति – इस प्रकार
इदं – यह पुरूषोत्तम विद्या
गुह्यतमं शास्त्रं – अत्यंत गोपनीय शास्त्र
मया – मेरे द्वारा
उक्तं – (तुम्हें) उपदेशित की गई है
एतत् बुद्ध्वा – यह जानकर
बुद्धिमान् स्यात् – मनुष्य मुझे प्राप्त करने में बुद्धिमान हो जायेगा
कृत कृत्य: च – इस प्राप्ति के लिए सभी आवश्यक कार्य पूर्ण कर लेगा
सरल अनुवाद
हे निष्पाप! हे भरतवंशी! इस प्रकार यह अत्यंत गोपनीय शास्त्र, पुरूषोत्तम विद्या, मेरे द्वारा (तुम्हें) उपदेशित की गई है । यह जानकर मनुष्य मुझे प्राप्त करने में बुद्धिमान हो जायेगा और इस प्राप्ति के लिए सभी आवश्यक कार्य पूर्ण कर लेगा।
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/15-20/
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org