१८.३५.५ – सुखं तु इदानीं त्रिविधं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १८

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श्लोक

सुखं तु इदानीं त्रिविधं श्रृणु मे भरतर्षभ।

पद पदार्थ

भरतर्षभ – हे भरत वंश के नेता!
इदानीं – अब
सुखं तु – सुख
त्रिविधं – तीन प्रकार
मे श्रृणु – मुझसे सुनो

सरल अनुवाद

हे भरत वंश के नेता! अब मुझसे तीन प्रकार के सुख के बारे में सुनो।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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