श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
न तदस्ति पृथिव्यां वा दिवि देवेषु वा पुन: |
सत्त्वं प्रकृतिजैर्मुक्तं यदेभिस्स्यात् त्रिभिर्गुणै: ||
पद पदार्थ
पृथिव्यां वा – इस पृथ्वी पर मनुष्यों
दिवि देवेषु वा पुन: – स्वर्ग में देवताओं
एभि: त्रिभि: प्रकृतिजै: गुणै: मुक्तं – इन तीन भौतिकवादी गुणों से मुक्त
यत् सत्त्वं स्यात् – कोई भी जीव
तत् न अस्ति – जीव उपस्थित नहीं है
सरल अनुवाद
इस पृथ्वी पर मनुष्यों और स्वर्ग में देवताओं में से इन तीन भौतिकवादी गुणों से मुक्त कोई भी जीव उपस्थित नहीं है ।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
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