२.४० – नेहाभिक्रम नाशोSस्ति

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ३९ श्लोक नेहाभिक्रम नाशोSस्ति प्रत्यवायो न विद्यते ।स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात् ॥ पद पदार्थ इह – कर्म योग मेंअभिक्रमनाश: – शुरू किए गए प्रयासों में हानिन अस्थि –  नहीं है (भले ही शुरुआत के बाद रोक दिया गया हो)प्रत्यवाय: – दोषन … Read more