श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता |
यदि भास्सदृशी सा स्याद् भासस्तस्य महात्मन: ||
पद पदार्थ
सूर्य सहस्रस्य भा: – हजारों सूर्यों की चमक
दिवि – आकाश में
युगपत – एक ही समय में
यदि उत्थिता भवेत् – यदि प्रकट हुआ
सा – वह चमक
तस्य महात्मन: भास: – उस महान भगवान की चमक की
सदृशी स्याद् – तुलनीय होगा
सरल अनुवाद
यदि आकाश में एक ही समय में हजारों सूर्य दिखाई दें, तो वह चमक उस महान भगवान की चमक की तुलनीय होगा |
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
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