११.४२ – यच्चापहासार्थम् असत्कृतोऽसि
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक ४१ श्लोक यच्चापहासार्थमसत्कृतोऽसि विहारशय्यासनभोजनेषु।एकोऽथवाऽप्यच्युत तत्समक्षं तत्क्षामये त्वामहमप्रमेयम्।। पद पदार्थ अच्युत! – हे भक्तों को न त्यागने वाले!अपहासार्थं – छेड़ने के रूप मेंयत् च असत्कृतोऽसि – मेरे द्वारा जिस प्रकार भी तुम्हारा अपमान हुआ हैविहार शय्यासन भोजनेषु – खेलते हुए, लेटे … Read more