श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
रुद्रादित्या वसवो ये च साध्या विश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च।
गन्धर्वयक्षासुरसिद्धसङ्घा वीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे।।
पद पदार्थ
रुद्रादित्या: – (ग्यारह) रुद्रों , (बारह) आदित्यों
वसव – (आठ) वसुओं
ये च विश्वे साध्या : – वे सभी साध्य देव
अश्विनौ – (दो) अश्विनि देवताओं
मरुत: च – (उनचास) मरुतों
उष्मपा: च – पितृओं (पूर्वजों )
गंधर्व यक्ष असुर सिद्ध सङ्घा: – गंधर्वों, यक्षों, असुरों और सिद्धों के समूह
सर्वे चैव – ये सभी
विस्मिता:- आश्चर्यचकित होकर
त्वां – तुम्हे
वीक्षन्ते – देख रहे हैं
सरल अनुवाद
वे सभी, जैसे (ग्यारह) रुद्रों, (बारह) आदित्यों , (आठ) वसुओं, सभी साध्य देवताओं , (दो) अश्विनि देवताओं , (उनचास) मरुतों, पितृओं (पूर्वजों), गंधर्वों, यक्षों, असुरों और सिद्धों के समूह तुम्हें आश्चर्यचकित होकर देख रहे हैं।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
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