श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः समुद्रमेवाभिमुखा द्रवन्ति।
तथा तवामी नरलोकवीरा: विशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति।।
पद पदार्थ
बहव: – अनेक
नदीनाम् अम्बुवेगाः – नदियों का प्रवाह
समुद्रम् एव अभिमुखा: – समुद्र की ओर
यथा द्रवन्ति – जैसे वे बहते हैं
तथा – उसी प्रकार
अमी नरलोक वीरा: – इस दुनिया के योद्धा
तव अभि विज्वलन्ति वक्त्राणि – तुम्हारे प्रज्वलित मुखों में
विशन्ति – प्रवेश कर रहें हैं
सरल अनुवाद
जिस प्रकार अनेक नदियों का प्रवाह समुद्र की ओर बहते हैं, उसी प्रकार इस संसार के योद्धा तुम्हारे प्रज्वलित मुखों में प्रवेश कर रहे हैं।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
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