श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयमविकार्योऽयम् उच्यते ।
तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशोचितुम् अर्हसि॥
पद पदार्थ
अयं – यह आत्मा
अव्यक्त: – अदृश्य है ( मनुष्य के विपरीत जो नश्वर एवं प्रत्यक्ष रूप में है )
अयं – यह आत्मा
अचिन्त्य: – अकल्पनीय है ( जिस प्रकार नश्वर वस्तुओं के गुण को कल्पना कर सकते हो )
अयं – यह आत्मा
अविकार्य: – अदूषणीय
उच्यते – कहा जाता है
तस्मात् – अत:
एनं – उसे
एवं – इस प्रकार
विदित्वा – जानकार
अनुशोचितुम् न अर्हसि – तुम शोक मत करो
सरल अनुवाद
यह आत्मा अदृश्य है ( मनुष्य के विपरीत जो प्रत्यक्ष एवं नश्वर है ) , अकल्पनीय है ( जिस प्रकार नश्वर वस्तुओं के गुण को कल्पना कर सकते हो ) और अदूषणीय कहा जाता है | अत: उसे इस प्रकार जानकार तुम शोक मत करो |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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