११.३८.५ – वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ११

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श्लोक

वायुर्यमोऽग्निर्वरुणः शशाङ्कः प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।

पद पदार्थ

प्रपितामह: त्वं – तुम पितामह ब्रह्मा के पिता हो
वायु: – वायु के रूप में
यम: – यम के रूप में
अग्नि: – अग्नि के रूप में
वरुण: – वरुण के रूप में
शशाङ्कः – चंद्र के रूप में
प्रजापति च – प्रजापतियों तथा उनके पिता ब्रह्मा के रूप में

सरल अनुवाद

तुम पितामह ब्रह्मा के पिता हो; तुम वायु, यम, अग्नि, वरुण, चंद्र और प्रजापतियों तथा उनके पिता ब्रह्मा के रूप में प्रकट होते हो।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

>> अध्याय ११ श्लोक ३९ और ३९.५

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