श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
संजय उवाच-
इत्यहं वासुदेवस्य पार्थस्य च महात्मन: |
संवादमिममश्रौषमद्भुतं रोमहर्षणम् ||
पद पदार्थ
संजय उवाच – संजय ने कहा
इति – इस प्रकार
वासुदेवस्य – वसुदेव के पुत्र कृष्ण
महात्मन: पार्थस्य च – और एक अत्यंत बुद्धिमान अर्जुन के बीच (हुआ )
इमं – यह
रोमहर्षणम् अद्भुतं संवादं – रोंगटे खड़े कर देनेवाला अद्भुत वार्तालाप
अहम् अश्रौषम् – मैंने सुना
सरल अनुवाद
संजय ने कहा , इस प्रकार, मैंने वसुदेव के पुत्र कृष्ण और अत्यंत बुद्धिमान अर्जुन के बीच (हुआ ) यह अद्भुत वार्तालाप सुना, जो रोंगटे खड़े कर देता है।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुज दासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/18-74/
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org