१.२४ – एवं उक्तो हृषीकेशो

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

< < अध्याय १  श्लोक १.२३

श्लोक

सञ्जय  उवाच –
एवं उक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम् 

पद पदार्थ 

सञ्जय उवाच – संजय ने कहा
भारत –  हे भरत वंश में जनित धृतराष्ट्र !
हृषीकेश – कृष्ण जो इंद्रियों के नियंत्रक हैं
गुडाकेशेन – अर्जुन  (जिसने निद्रा पर विजय प्राप्त की है) द्वारा
एवं  – इस प्रकार
उक्तः- बोले गए 
उभयो: सेनाओ: मध्ये – दोनों सेनाओं के बीच 
रथोत्तमम् – सर्वश्रेष्ठ रथ (अर्जुन का)
स्थापयित्वा – स्थित किया

सरल अनुवाद

संजय ने धृतराष्ट्र से कहा – हे भरत कुल में जन्म लेने वाले धृतराष्ट्र!  अर्जुन (जिसने नींद पर जीत हासिल की है) से  कृष्ण  द्वारा (इंद्रियों के नियंत्रक)इस प्रकार कही गयी बातों (के अनुसार ) दोनों सेनाओं की बीच (अर्जुन के) सर्वश्रेष्ठ रथ को खड़ा किया ।

>>अध्याय १ श्लोक १.२५

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