श्री भगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय १ (अर्जुन विषाद योग)
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता का सारतत्त्व << संक्षेप विषय गीतार्थ संग्रह के पांचवे श्लोक में स्वामी आळवन्दार् ( यामुनाचार्य ) , भगवद्गीता के पहले अध्याय की सार को दयापूर्वक समझाते हैं , ” अर्जुन , अपने मन में धार्मिक युद्ध को अधार्मिक समझकर, अयोग्य रिश्तेदारों को अपने स्नेह … Read more