१.४६ – यदि मामप्रतीकारम्‌

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक

यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः ।
धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्‌ ৷৷

पद पदार्थ

रणे – युद्धक्षेत्र में
अप्रतीकारं – बदले लेने की कोई इच्छा न होने के नाते ( मेरे विरुद्ध किये गए अपराधों के प्रति )
अशस्त्रं – निःशस्त्र
माम्‌ – मुझे
शस्त्रपाणयः – जो सशस्त्र हैं
धार्तराष्ट्रा – दुर्योधन और बाकी सारे
यदि हन्यु: – अगर मार डालेंगे
तत् – वो मौत
मे – मुझे
क्षेमतरं भवेत्‌ – अधिक भला होगा

सरल अनुवाद

अगर दुर्योधन और बाकी सारे जो युद्धक्षेत्र में सशस्त्र हैं , मुझे, जो कि निःशस्त्र एवं बिना कोई बदले लेने की इच्छा से हूँ ( मेरे विरुद्ध किये गए अपराधों के प्रति ) मार डालेंगे तो वो मौत से मुझे अधिक भला होगा |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

>>अध्याय १ श्लोक १.४७

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