१०.१ – भूय एव महाबाहो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १०

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श्लोक

श्रीभगवानुवाच
भूय एव महाबाहो शृणु मे परमं वचः।
यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥

पद पदार्थ

श्रीभगवानुवाच – श्री भगवान ने कहा
महाबाहो – हे शक्तिशाली भुजाओं वाले!
प्रीयमाणाय ते – तुम जो (मेरी महिमा सुनकर)आनंदित हो
हित काम्यया – तुम्हारी भलाई के लिए (मेरे प्रति भक्ति प्राप्त करने और उसका पोषण करने के लिए)
भूय – फिर से
यत् परमं वचः एव – केवल यह पूजनीय व्याख्यान (मेरी महिमा का वर्णन)
अहं वक्ष्यामि – मैं बात कर रहा हूँ
(तत्) मे (परमं वचः) – मेरा वह (उत्कृष्ट व्याख्यान)
शृणु – (ध्यानपूर्वक) सुनो

सरल अनुवाद

श्री भगवान ने कहा, ” हे महाबाहो! तुम्हारी भलाई के लिए (मेरे प्रति भक्ति प्राप्त करने और उसका पोषण करने के लिए) मैं फिर से तुमसे बात कर रहा हूँ, तुम जो (मेरी महिमा सुनकर)आनंदित हो, केवल यह पूजनीय व्याख्यान (मेरी महिमा का वर्णन), मेरा (वह उत्कृष्ट व्याख्यान ध्यानपूर्वक) सुनो |”

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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