१०.२२ – वेदानां सामवेदोऽस्मि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १०

<< अध्याय १० श्लोक २१

श्लोक

वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥

पद पदार्थ

वेदानां – वेदों में
साम वेद: अस्मि – मैं सामवेद (जो सर्वोत्तम है) हूँ
देवानां – देवताओं में
वासवः अस्मि – मैं इन्द्र (उनमें सर्वश्रेष्ठ) हूँ
इन्द्रियाणां – ग्यारह इंद्रियों में
मन: च अस्मि – मैं मन (जो सर्वोत्तम है) हूँ
भूतानां – बुद्धिमान प्राणियों में
चेतना अस्मि -मैं उनकी बुद्धिमत्ता हूँ

सरल अनुवाद

वेदों में ,मैं सामवेद (जो सर्वोत्तम है) हूँ; देवताओं में,मैं इन्द्र (उनमें सर्वश्रेष्ठ) हूँ; ग्यारह इंद्रियों में से मैं मन (जो सर्वोत्तम है) हूँ । बुद्धिमान प्राणियों में, मैं उनकी बुद्धिमत्ता हूँ |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

>> अध्याय १० श्लोक २३

आधार – http://githa.koyil.org/index.php/10-22/

संगृहीत – http://githa.koyil.org

प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org