श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
वेदानां सामवेदोऽस्मि देवानामस्मि वासवः।
इन्द्रियाणां मनश्चास्मि भूतानामस्मि चेतना ॥
पद पदार्थ
वेदानां – वेदों में
साम वेद: अस्मि – मैं सामवेद (जो सर्वोत्तम है) हूँ
देवानां – देवताओं में
वासवः अस्मि – मैं इन्द्र (उनमें सर्वश्रेष्ठ) हूँ
इन्द्रियाणां – ग्यारह इंद्रियों में
मन: च अस्मि – मैं मन (जो सर्वोत्तम है) हूँ
भूतानां – बुद्धिमान प्राणियों में
चेतना अस्मि -मैं उनकी बुद्धिमत्ता हूँ
सरल अनुवाद
वेदों में ,मैं सामवेद (जो सर्वोत्तम है) हूँ; देवताओं में,मैं इन्द्र (उनमें सर्वश्रेष्ठ) हूँ; ग्यारह इंद्रियों में से मैं मन (जो सर्वोत्तम है) हूँ । बुद्धिमान प्राणियों में, मैं उनकी बुद्धिमत्ता हूँ |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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