श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
सञ्जय उवाच
एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी।
नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं सगद्गदं भीतभीतः प्रणम्य।।
पद पदार्थ
सञ्जय उवाच – संजय कहते हैं
केशवस्य – कृष्ण की
एतत् वचनं – इस वाणी
श्रुत्वा – सुनकर
किरीटी – अर्जुन
नमस्कृत्वा – आदरपूर्वक (कृष्ण को) प्रणाम करते
भीत भीतः – अत्यन्त भयभीत होकर
भूय एव कृष्णं प्रणम्य – पुनः कृष्ण को प्रणाम किया
कृताञ्जलि – अंजलि (हाथ जोड़कर) की
वेपमानः – काँपता हुआ
सगद्गदं आह – टूटे हुए स्वर में बोला
सरल अनुवाद
संजय कहते हैं – कृष्ण की वाणी सुनकर अर्जुन ने आदरपूर्वक (कृष्ण को) प्रणाम किया, अत्यन्त भयभीत होकर, पुनः कृष्ण को प्रणाम किया, अंजलि (हाथ जोड़कर) की, काँपता हुआ, टूटे हुए स्वर में बोला।
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/11-35/
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org