११.३९ और ११.३९.५ – नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ११

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श्लोक

नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते।।
नमः पुरस्तादथ पृष्ठतस्ते नमोऽस्तु ते सर्वत एव सर्व।

पद पदार्थ

सर्व – हे सर्वस्वरूप!
ते – तुम्हें
सहस्र कृत्व – हजारों बार
नमो नमः अस्तु – मेरा वंदन हो
ते – तुम्हें
पुनश्च – बार बार
भूय: अपि – बार बार
नमो नमः अस्तु – मेरा प्रणाम हो
ते पुरस्तात् – तुम्हारे सामने
नमः (अस्तु) – मेरा प्रणाम हो
अथ: पुरस्तात् – तुम्हारे पीछे
नमः (अस्तु) – मेरा प्रणाम हो
सर्वत एव – हर समय सभी दिशाओं में
नमः (अस्तु) – मेरा प्रणाम हो

सरल अनुवाद

हे सर्वस्वरूप! मेरा वंदन तुम्हें हजारों बार हो; मेरा प्रणाम तुम्हें बार बार हो। तुम्हारे सामने, तुम्हारे पीछे और हर समय सभी दिशाओं में मेरा प्रणाम हो।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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