१४.१३ – अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १४

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श्लोक

अप्रकाशोऽप्रवृत्तिश्च प्रमादो मोह एव च।
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन।।

पद पदार्थ

कुरुनन्दन – हे कुरुवंश के वंशज!
अप्रकाश: – ज्ञान का अभाव
अप्रवृत्ति: च – आलस्य
प्रमाद: – असावधानी
मोह: एव च – और विपरीत ज्ञान
एतानि – ये सब
तमसि विवृद्धे – जब तमोगुण का उदय होता है
जायन्ते – उत्पन्न होता है

सरल अनुवाद

हे कुरुवंश के वंशज! जब तमोगुण का उदय होता है तो ज्ञान का अभाव, आलस्य, असावधानी और विपरीत ज्ञान उत्पन्न होता है।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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