१६.११ – चिन्तामपरिमेयां च

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १६

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श्लोक

चिन्तामपरिमेयां च प्रलयान्तामुपाश्रिताः।
कामोपभोगपरमा एतावदिति निश्चिताः।।

पद पदार्थ

(आसुरी लोग)
अपरिमेयां – असीमित
प्रलयान्तां च – विद्यमान तथा प्रलयकाल तक प्राप्त होने वाली
चिन्तां – चिंता
उपाश्रिताः – करते हुए
कामोप भोग परमा: – वासना को ही सर्वोच्च लक्ष्य मानकर
एतावत् इति निश्चिताः – ‘यही परम लक्ष्य है’, ऐसा दृढ़ विश्वास रखते हैं

सरल अनुवाद

जो बातें असीमित हैं, विद्यमान हैं, तथा प्रलयकाल तक प्राप्त होने वाली हैं, उनकी चिंता करते हुए, वासना को ही सर्वोच्च लक्ष्य मानकर, आसुरी लोग ‘यही परम लक्ष्य है’, ऐसा दृढ़ विश्वास रखते हैं।

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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