२.१४ – मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ <<अध्याय २ श्लोक १३ श्लोक मात्रास्पर्शास्तु कौन्तेय शीतोष्णसुखदुःखदाः ।आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व भारत ॥ पद पदार्थ कौन्तेय – हे कुन्तीपुत्र !मात्रास्पर्शा – जब मनुष्य के पाँच ज्ञानेन्द्रियों ( आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा ) का संपर्क तन्मात्राओं ( सूक्ष्म वस्तुओं ) जैसे शब्द , स्पर्श, रूप … Read more