३.४३ – एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ३

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श्लोक

एवं बुद्धेः परं बुद्ध्वा संस्तभ्यात्मानमात्मना।
जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् ॥

पद पदार्थ

महाबाहो – हे बलिष्ठ भुजाओं वाला !
एवं – इस प्रकार
बुद्धेः परं – वासना जो अटल दृढ़ से भी बड़ा है ( स्वज्ञान का अवरोध करने में )
बुद्ध्वा – जानते हुए
आत्मानं – मन को
आत्मना – दृढ़ ज्ञान से
संस्तभ्य – नियंत्रण करके ( कर्म योग की अभ्यास में )
दुरासदं – अपराजित
काम रूपं शत्रुं – वासना ( अभिलाषा ) नाम शत्रु का
जहि – नाश करो

सरल अनुवाद

हे बलिष्ठ भुजाओं वाला ! इस प्रकार, यह जानते हुए कि वासना अटल दृढ़ से भी बड़ा है ( स्वज्ञान का अवरोध करने में ), दृढ़ ज्ञान से अपने मन को नियंत्रण करके ( कर्म योग की अभ्यास में ) , वासना ( अभिलाषा ) नाम शत्रु का नाश करो |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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