श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
श्रोत्रादीनीन्द्रियाणि अन्ये सम्यमाग्निषु जुह्वति ।
पद पदार्थ
अन्ये – कुछ अन्य कर्मयोगी
श्रोत्रादीनी इन्द्रियाणि – कान जैसी संवेदी अंग
सम्यमाग्निषु – इंद्रियों को नियंत्रित करने की अग्नि में
जुह्वति – उन्हें यज्ञ में संलग्न करना
सरल अनुवाद
कुछ अन्य कर्म योगी इंद्रियों को संयमित करने के यज्ञ में कान जैसी ज्ञानेंद्रियों को संलग्न करतें हैं।
अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी
आधार – http://githa.koyil.org/index.php/4-25.5
संगृहीत – http://githa.koyil.org
प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.org
प्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.org
प्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.org
श्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org