श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते ।
लभते च ततः कामान्मयैव विहितान्हि तान् ॥
पद पदार्थ
स: – उस देवतान्तर् [ अन्य देवता ] का भक्त
तया श्रद्धया युक्त: – उस विश्वास के साथ
तस्य – उस देवता का
आराधनम् ईहते – पूजा करने का प्रयास करता है
मया एव हि विहितान् – मेरी अनुमोदन से ही
तान् कामान् – अपनी वांछित वस्तुएँ
लभते च – उन्हें भी प्राप्त करता है
सरल अनुवाद
उस विश्वास के साथ, उस देवतान्तर् [ अन्य देवता ] का भक्त , उस देवता का पूजा करने का प्रयास करता है ; अपनी जो वांछित वस्तुएँ हैं , उन्हें भी मेरी अनुमोदन से ही प्राप्त करता है |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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