९.२८ – शुभाशुभफलै: एवं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय ९

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श्लोक

शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनै: |
संन्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ||

पद पदार्थ

एवं – इस प्रकार
संन्यास योग युक्तात्मा – संन्यास योग ( जैसे पहले बताया गया है, सभी कार्यों को मुझे समर्पित करना ) में लगे दिल से कर्म में संलग्न होने से
शुभ अशुभ फलै: – जो शुभ और अशुभ फल देते हैं
कर्म बन्धनै: – अच्छे और बुरे कर्मों के (अंतहीन) बंधन
मोक्ष्यसे – मुक्त हो जाओगे
विमुक्त – मुक्त होकर
माम् उपैष्यसि – मुझ तक पहुँच जाओगे

सरल अनुवाद

इस प्रकार, संन्यास योग ( जैसे पहले बताया गया है, सभी कार्यों को मुझे समर्पित करना ) में लगे दिल से कर्म में संलग्न होने से, तुम अच्छे और बुरे कर्मों के (अंतहीन) बंधन से मुक्त हो जाओगे , जो शुभ और अशुभ फल देते हैं ; [ उनसे ] मुक्त होकर तुम मुझ तक पहुँच जाओगे |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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