३.७ – यस् त्विन्द्रियाणि मनसा
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक ६ श्लोक यस्त्विन्द्रियाणि मनसा नियम्यारभतेSर्जुन ।कर्मेन्द्रियैः कर्मयोगमसक्तः स विशिष्यते ॥ पद पदार्थ अर्जुन – हे अर्जुन!य : तु – वह व्यक्तिमनसा – मन के साथ (जो आत्मा पर केंद्रित है)इन्द्रियाणि – इंद्रियों को नियम्य – उन्हें शास्त्र द्वारा निर्मित कर्मों में … Read more