१६.२२ – एतैर् विमुक्तः कौन्तेय
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १६ << अध्याय १६ श्लोक २१ श्लोक एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नर: |आचरत्यात्मन: श्रेयस्ततो याति परां गतिम् || पद पदार्थ कौन्तेय – हे कुन्ती पुत्र!तमो द्वारै: – अंधकार के कारण हैं (अर्थात, मेरे बारे में मिथ्याबोध )एतै: त्रिभि: – इन तीनों से – वासना, क्रोध और लोभविमुक्त: … Read more