११.१९ – अनादिमध्यान्तम् अनन्तवीर्यं
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ११ << अध्याय ११ श्लोक १८ श्लोक अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्यम् अनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम्।पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रं स्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम्।। पद पदार्थ अनादि मध्य अन्तम् – जिसका कोई प्रारंभ, मध्य और अंत नहीं हैअनन्त वीर्यम् – असीमित ऊर्जा से युक्तअनन्त बाहुम् – असीमित भुजाओं से युक्तशशि सूर्य नेत्रम् – दिव्य … Read more