१८.२२ – यत् तु कृत्स्नवत् एकस्मिन्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १८ << अध्याय १८ श्लोक २१ श्लोक यत्तु कृत्स्नवदेकस्मिन् कार्ये सक्तमहेतुकम्।अतत्त्वार्थवदल्पं च तत्तामसमुदाहृतम्।। पद पदार्थ यत् तु – वह ज्ञानएकस्मिन् कार्ये – किसी कार्य में (मृत लोगों और भूतों की पूजा करना जिससे सबसे कम परिणाम मिलते हैं)कृत्स्नवत् – जैसे कि पूर्ण परिणाम देने वाले … Read more