गीतार्थ संग्रह – 6
श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद कर्म, ज्ञान, भक्ति योगों की व्याख्या श्लोक 23 कर्मयोगस्तपस्तीर्थदानयज्ञादिसेवनम् | ज्ञानयोगोजितस्वान्तै:परिशुद्धात्मनी स्थिति: || Listen शब्दार्थ (पुत्तुर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) कर्म योग: – कर्म योग तपस् तीर्थ दान यज्ञादि सेवनम् – सतत तपस्या, तीर्थ यात्रा, दान, यज्ञ आदि … Read more