२.६८ – तस्माद्यस्य महाबाहो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय २

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श्लोक

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः ।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥

पद पदार्थ

महाबाहो – हे महाबाहो!
तस्मात् – इस प्रकार
यस्य इन्द्रियाणी- जिनकी ज्ञानेन्द्रियाँ
इन्द्रियार्थेभ्य:-सांसारिक सुखों से
सर्वशः: निगृहीतानि – सभी प्रकार से खींच लिया गया
तस्य – उसके लिए
प्रज्ञा – ज्ञान (स्वयं के बारे में)
प्रतिष्ठिता – दृढ़ता से स्थापित

सरल अनुवाद

हे महाबाहो! इस प्रकार, जिन व्यक्तियों की ज्ञानेन्द्रियाँ सभी प्रकार से सांसारिक सुखों से दूर हो जाती हैं, उनका ज्ञान (स्वयं के बारे में) दृढ़ता से स्थापित हो जाता है।

अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी

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