श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम् ।
सम्भावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते ॥
पद पदार्थ
भूतानि अपि – सारे प्राणी
ते – तेरे बारे में
अव्ययाम् – सर्व काल और सर्व स्थान पर फैल जाएगा
अकीर्तिं च – अपमान
कथयिष्यन्ति – बातें करेंगे
सम्भावितस्य – तुम जो अपने कीर्ति के लिए प्रसिद्द हो
अकीर्ति – यह अपमान
मरणाद च – मौत से भी
अतिरिच्यते – बुरा है
सरल अनुवाद
सारे प्राणी तेरे बारे में निरादरपूर्वक बातें करेंगे और यह सर्व काल और सर्व स्थान पर फैल जाएगा ; तुम जो अपने कीर्ति के लिए प्रसिद्द हो , तुम्हे यह अपमान मौत से भी बुरा है |
अडियेन् जानकी रामानुज दासी
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