श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः
श्लोक
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभाऽस्मि शशिसूर्ययोः ।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु ॥
पद पदार्थ
कौन्तेय – हे कुन्ती पुत्र!
अहं – मैं
अप्सु – पानी में
रस: (अस्मि) – अच्छा स्वाद हूँ
शशिसूर्ययो:- चन्द्रमा और सूर्य का
प्रभाऽस्मि – मैं तेज हूँ
सर्व वेदेषु – सभी वेदों में
प्रणव: (अस्मि) – मैं ओंकार हूँ
खे – आकाश में
शब्द: (अस्मि) – मैं ध्वनि का गुण हूँ
नृषु – पुरुषों में
पौरुषम् (अस्मि) – मैं पुरुषत्व हूँ
सरल अनुवाद
हे कुन्तीपुत्र! मैं पानी में अच्छा स्वाद हूँ | मैं चंद्रमा और सूर्य का तेज हूँ.| मैं सभी वेदों में ओंकार हूँ। मैं आकाश में ध्वनि का गुण हूँ। मैं पुरुषों में पुरुषत्व हूँ|
अडियेन् कण्णम्माळ् रामनुजदासी
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