१.१४ – ततः श्वेतै:

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

< < अध्याय १ श्लोक १३

श्लोक
ततः श्वेतै:हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः ॥ 

पद पदार्थ

तत :- उसके बाद
माधव: – कृष्ण जो श्री महालक्ष्मी के दिव्य पति हैं
पाण्डव: च एव  – और पाण्डु पुत्र अर्जुन भी
श्वेतै: हयै:युक्ते – सफेद घोड़ों द्वारा खींचा गया
महति स्यन्दने – बड़े रथ में
स्थितथौ – बैठें हुए 
दिव्यौ शङ्खौ – दिव्य शंखों को 
प्रदध्मथु: – बजाये 

सरल अनुवाद

उसके बाद , सफेद घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले बड़े रथ में बैठे माधव (श्री महालक्ष्मी के दिव्य पति ) और अर्जुन (पाण्डु के पुत्र)भी , अपने दिव्य शंख बजाये।

>>अध्याय १ श्लोक १.१५

अडियेन् कण्णम्माळ् रामानुजदासि

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